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उषा कविता में आकाश के बदलते रंगों का वर्णन के बारे में बताओ |

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कवि कहता है कि जब सूर्योदय से पहले की लालिमा आसमान पर छा जाती है तो ऐसा लगता है कि नीले जल में कोई हलचल पैदा हो रही है । किसी गोरी युवती की सुन्दर देह इस पवित्र जल में हिलती हुई दिखाई देती है । गोरी युवती के शरीर का प्रतिबिम्ब नीले जल में पड़ते ही उसम शुरू हो जाती है और यह जादू जो कि हर किसी के लिए रहस्य बना है अब यह जल्दी ही टूटने वाला है,  कारण स्पष्ट है कि अब सूर्य निकलने वाला है अर्थात् सूर्योदय हो गया है । सूर्य की किरणें धरती पर आ चुकी हैं।

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