in राजनीति विज्ञान
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"यदि ईश्वर अस्पृश्यता को सहन करते हैं तो मैं ईश्वर के रूप में उन्हें कदापि स्वीकार नहीं करूँगा” यह किसने कहा?

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बाल गंगाधर तिलक ने

तिलक ने समाज में व्याप्त छुआछूत के खिलाफ भी पुरजोर आवाज उठाई। उन्होंने कहा, 'यदि भगवान छुआछूत को मानता है, तो मैं उसे भगवान नहीं कहूँगा।' मौजूदा सामाजिक परिस्थितियों में भी तिलक का यह कथन मौजूं है क्योंकि आजादी के छह दशक बाद भी समाज में जातिगत भेदभाव कायम है। तिलक का जन्म महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश (अब रत्नागिरी) के चिक्कन गांव में 23 जुलाई 1856 को हुआ था।

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