in इतिहास
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'यदि भगवान अस्पृश्यता को सहन करता है, तो मैं उसे भगवान नहीं मानूँगा' यह शब्द किसने कहे थे?

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यदि भगवान अस्‍पृश्‍यता को सहन करता है, तो मैं उसे भगवान नहीं मानूँगा’ यह शब्‍द बाल गंगाधर तिलक ने कहे थे। तिलक ने जीवन भर बड़े पैमाने पर राजनीतिक कार्रवाई के लिए भारतीय आबादी को एकजुट करने की मांग की। ऐसा होने के लिए, उनका मानना ​​​​था कि ब्रिटिश-विरोधी हिंदू-विरोधी सक्रियता के लिए एक व्यापक औचित्य की आवश्यकता थी। इसके लिए, उन्होंने रामायण और भगवद गीता के कथित मूल सिद्धांतों में औचित्य मांगा ।

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