महात्मा गांधी ने कहा था ”यदि अस्पृश्यता का कलंक हमारे माथे पर लगा रहता है तो स्वराज्य मिल ही नहीं सकता। गाँधी का जीवन तथा उपदेश कई लोगों को प्रेरित करती है जो गाँधी को अपना गुरु मानते है या जो गाँधी के विचारों का प्रसार करने में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। यूरोप के, रोमेन रोल्लांड पहला व्यक्ति था जिसने 1924 में अपने किताब महात्मा गाँधी में गाँधी जी पर चर्चा की थी