नाभिकीय बल ( Nuclear Forces ) – किसी भी परमाणु के नाभिक में दो मूल कण , प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन होते हैं । समान रूप से आवेशित कण होने के कारण प्रोटॉनों के बीच एक वैद्युत प्रतिकर्षण बल कार्य करता है , जबकि आवेश - रहित न्यूट्रॉनों के बीच इस प्रकार का कोई बल नहीं लगता । ये कण नाभिक के अत्यन्त सूक्ष्म स्थान ( = 10-15 मीटर ) में एक साथ कैसे रहते हैं ? इस तथ्य को समझने के लिए यह परिकल्पना की गयी कि नाभिक के भीतर ऐसे बल कार्यशील रहते हैं जो कि न्यूक्लिऑनों को परस्पर नाभिक में एक साथ बाँधे रखते हैं । इन बलों को ' नाभिकीय बल ' ( nuclear forces ) कहते हैं । इन बलों के विषय में निम्नलिखित तथ्य ज्ञात हुए हैं|
( i ) ये बल आकर्षण - बल हैं अन्यथा समान आवेश के प्रोटॉन नाभिक जैसे सूक्ष्म स्थान में जमा नहीं रह पाते ।
( ii ) ये बल अत्यन्त तीव्र ( very strong ) हैं । मानव जानकारी में अब तक जितने भी बल ज्ञात हैं उनमें सबसे अधिक तीव्र नाभिकीय - बल ही हैं ।
( iii ) ये वैद्युत बल नहीं हैं । यदि ये वैद्युत बल होते , तो इनके कारण प्रोटॉनों के बीच प्रतिकर्षण होता और नाभिक की संरचना सम्भव न हो पाती ।
( iv ) ये गुरुत्वीय बल भी नहीं हैं । दो न्यूक्लिऑनों के बीच गुरुत्वीय बल बहुत क्षीण होते हैं , जबकि नाभिकीय बल अत्यन्त तीव्र होते हैं ।
( v ) ये बल आवेश पर किसी प्रकार भी निर्भर नहीं करते अर्थात् विभिन्न न्यूक्लिऑनों के बीच ( जैसे - प्रोटॉन - प्रोटॉन के बीच , न्यूट्रॉन - न्यूट्रॉन के बीच , प्रोटॉन - न्यूट्रॉन के बीच ) बल एकसमान ( uniform ) होते हैं