दुर्बल नाभिकीय बल
इन बलों की उत्पत्ति की खोज रेडियोधर्मिता में β-रूप की घटना के दौरान हुई। ये बल अल्प जीवन काल वाले कणों के बीच अन्योन्य प्रक्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न बल हैं।
दुर्बल नाभिकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं
- ये बल आकर्षणात्मक अथवा प्रतिकर्षणात्मक हो सकते हैं।
- ये बल कूलॉम के नियम का पालन करते हैं।
- ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
- दो प्रोटॉनों के बीच स्थिर वैद्युत बल किसी भी स्थिर दूरी के लिए गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में 1036 गुना प्रबल होते हैं।
- ये अधिक दरी तक प्रभावी नहीं होते हैं।
- ये केन्द्रीय बल होते हैं।
- ये संरक्षी बल होते हैं।
- विद्युत चुम्बकीय बलों का क्षेत्र कण फोटॉन होता है जिस पर कोई आवेश नहीं होता है तथा जिसका विराम द्रव्यमान शून्य होता है।