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दुर्बल नाभिकीय बल से आप क्या समझते हैं

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दुर्बल नाभिकीय बल

इन बलों की उत्पत्ति की खोज रेडियोधर्मिता में β-रूप की घटना के दौरान हुई। ये बल अल्प जीवन काल वाले कणों के बीच अन्योन्य प्रक्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न बल हैं।

दुर्बल नाभिकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं

  1.  ये बल आकर्षणात्मक अथवा प्रतिकर्षणात्मक हो सकते हैं।
  2.  ये बल कूलॉम के नियम का पालन करते हैं।
  3. ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
  4.  दो प्रोटॉनों के बीच स्थिर वैद्युत बल किसी भी स्थिर दूरी के लिए गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में 1036 गुना प्रबल होते हैं।
  5.  ये अधिक दरी तक प्रभावी नहीं होते हैं।
  6. ये केन्द्रीय बल होते हैं।
  7.  ये संरक्षी बल होते हैं।
  8. विद्युत चुम्बकीय बलों का क्षेत्र कण फोटॉन होता है जिस पर कोई आवेश नहीं होता है तथा जिसका विराम द्रव्यमान शून्य होता है।

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