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Pratham Singh in Physics
नाभिकीय संलयन से क्या तात्पर्य है?

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Deva yadav

नाभिकीय संलयन

दो हल्के नाभिकों के परस्पर संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाने की प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं। संलयन से प्राप्त नाभिक का द्रव्यमान, संलयन करने वाले मूल नाभिकों के द्रव्यमानों के योग से कम होता है तथा द्रव्यमान के इस अन्तर के तुल्य ऊर्जा इस प्रक्रिया में मुक्त होती है।
उदाहरण के लिए, भारी हाइड्रोजन अथवा ड्यूटीरियम ( 1H2) के दो नाभिकों के संलयन को इस समीकरण द्वारा व्यक्त कर सकते है ।
 1H2 + 1H21H3 + 4.0 MeV

ड्यूटीरियम ड्यूटीरियम ट्राइटियम हाइड्रोजन ऊर्जा ट्राइटियम पुनः ड्यूटीरियम के नाभिक से संलयित होकर हीलियम नाभिक का निर्माण करता है।

1H3 + 1H2 → 2He4 + 0n1 +17.6 MeV

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