नाभिकीय बल
किसी भी परमाणु के नाभिक में दो मूल कण, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन होते हैं। समान रूप से आवेशित कण होने के कारण प्रोटॉनों के बीच एक वैद्युत प्रतिकर्षण बल कार्य करता है, जबकि आवेश-रहित न्यूट्रॉनों के बीच इस प्रकार का कोई बल नहीं लगता। ये कण नाभिक के अत्यन्त सूक्ष्म स्थान (≈ 10-15 मीटर) में एक साथ कैसे रहते हैं? इस तथ्य को समझने के लिए यह परिकल्पना की गयी कि नाभिक के भीतर ऐसे बल कार्यशील रहते हैं। जो कि न्यूक्लिऑनों को परस्पर नाभिक में एक साथ बाँधे रखते हैं। इन बलों को ‘नाभिकीय बल’ (nuclear forces) कहते हैं।