हिंदी भाषा सागर के समान है, इसमें अनेक भाषाओं के शब्द रूपी नदियां आकर मिलते हैं। स्त्रोत या उत्पत्ति के आधार पर शब्द 5 तरह के होते हैं।
तत्सम तद्भव देशज विदेशी और संकर
- तत्सम शब्द →वे शब्द जो संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यों ले लिए गए हैं, उन्हें तत्सम शब्द की संज्ञा प्राप्त होती है। जैसे- अग्नि, आम्र, आदि।
- तद्भव शब्द→वे तत्सम शब्द जिनमें काल (समय) अथवा परिस्थितियों के कारण कोई परिवर्तन आता है, उन्हें तद्भव शब्दों की श्रेणि में रखा जाता है। जैसे- आग (अग्नि), आम (आम्र), आदि।
- देशज शब्द→वे शब्द जिनकी उत्पत्ति के मूल का पता न हो परन्तु वे प्रचलन में हों, उन्हें हम देशज शब्द के नाम से जानते हैं। ऐसे शब्द मुख्यतः क्षेत्रीय भाषाओं से लिये जाते हैं। जैसे- पगड़ी, लोटा, आदि।
- विदेशज शब्द→वे शब्द जो विदेशी भाषाओं से हिंदी में आये हैं, उन्हें विदेशज शब्द कहते हैं। जैसे- टेलीफोन (अंग्रेजी), अक्ल (अरबी)।
तद्भव शब्द: तत्(उससे)+भव (पैदा हुआ) अर्थात संस्कृत भाषा से उत्पन्न हुआ। संस्कृत के शब्दों में कुछ बदलाव करने से बने हुए शब्द तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे कि
तत्सम तद्भव
रात्रि रात
दिवस दिन
देशज: देश+ज अर्थात देश में जन्मा।अलग-अलग प्रांतों में बोले जाने वाले शब्द जब हिंदी भाषा में आते हैं तो वे देशज कहलाते हैं। जैसे कि
लोटा लकड़ी डिब्बा खिड़की आदि
विदेशी शब्द: विदेश से आया विदेशी।विदेशी भाषाओं से आए हुए शब्द विदेशी शब्द कहलाते हैं। जैसे कि
अंग्रेजी से आया है मोटर, डॉक्टर ,नर्स
फारसी से कागज, जमींदार, बदनाम
तुर्की से चम्मच ,कारतूस ,कैची