परिपक्व प्रावस्था (Maturation Phase)
यह क्रिया पूरे जनन काल (11-45) वर्ष में लगातार होती रहती है। प्राथमिक ऊसाइट में पहला अर्द्धसूत्री विभाजन होता है तथा दो असमान कोशिकाएँ बन जाती हैं। बड़ी कोशिका द्वितीयक ऊसाइट (secondary 0ocyte) कहलाती है, जबकि छोटी कोशिका को प्रथम ध्रुवीकाय (first polar body) कहते हैं। यह विभाजन अण्डोत्सर्ग से पहले होता है। दूसरा समसूत्री विभाजन अण्डवाहिनी में, अण्डोत्सर्ग के बाद होता है जिसके फलस्वरूप एक अण्डाणु तथा एक द्वितीयक ध्रुवीकाय (second polar body) बनती है। सभी ध्रुवीकाय नष्ट हो जाती हैं तथा इस सम्पूर्ण क्रिया में एक अण्डाणु प्राप्त होता है। ध्रुवीकार्य का निर्माण अण्डाणुओं को पोषण प्रदान करने के लिए होता है।