कायिक प्रवर्धन
कायिक प्रवर्धन जनन की ऐसी विधि है जिसमें पौधे के शरीर का कोई भी कायिक भाग प्रवर्धक का कार्य करता है तथा नये पौधे में विकसित हो जाता है। मातृ पौधे के कायिक अंग; जैसे-जड़, तना, पत्ती, कलिका आदि से नये पौधे का पुनर्जनन, कायिक प्रवर्धन कहलाता है। कायिक प्रवर्धन के दो उदाहरण निम्न हैं –
- अजूबा (Bryophyllum) के पौधे में पत्तियों के किनारों से पादपकाय उत्पन्न होते हैं जो मातृ पौधे से अलग होकर नये पौधे को जन्म देते हैं।
- आलू के कन्द में उपस्थित पर्वसन्धियाँ (nodes) कायिक प्रवर्धन में सहायक होती हैं। पर्वसन्धियों में कलिकाएँ स्थित होती हैं तथा प्रत्येक कलिको नये पौधे को जन्म देती है।