लोधी वंश का पतन
इब्राहिम लोधी की ताजपोशी ने एक दशक के भीतर ही लोधी साम्राज्य को बहुत नीचे ला दिया था. इसके मुख्य कारण थे
- जलाल–उद– दीन का समर्थन करने वाले अफगानी रईसों के बीच असंतोष. अपने भाई के प्रति नफरत की वजह से इब्राहिम लोधी ने इन पर बहुत अत्याचर किए।
- प्रशासनिक प्रणालियों की विफलता और व्यापार मार्गों का अवरुद्ध होना जिसकी वजह से साम्राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमारा गई थी।
- लोधी सेना पर राजपूत राजाओं का खतरा और उनके द्वारा दी जाने वाली धमकियां।
- बुरी आर्थिक स्थिति और उत्तराधिकार के लिए होने वाले लगातार युद्ध की वजह से राजकोष में तेजी से कमी. नतीजतन साम्राज्य कमजोर होता गया।
- आंतरिक युद्ध जिसने साम्राज्य को कमजोर बना दिया और लोधी वंश जहीर उद दीन मोहम्मह बाबर के हाथों में चला गया जिसने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहीम लोधी को हराकर भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
- लोधी साम्राज्य बड़ा हो रहा था लेकिन उसमें संचार साधनों की कमी थी जिसकी वजह से समय और प्रयासों की बर्बादी होने लगी थी। राजा की योग्यता पर से लोगों का विश्वास खोता जा रहा था।
- इस अवधि के दौरान गुलामों की संख्या बढ़ रही थी और इन गुलामों के रखरखाव में राजकोष पर बोझ बढ़ता जा रहा था।
- उत्तराधिकार की लड़ाई में कोई निश्चित कानून नहीं बनाया गया था। कोई भी युद्ध शुरु कर सकता था और किसी भी साम्राज्य पर अपना अधिकार स्थापित कर सकता था।
- अभिजात वर्गों का लालच और अक्षमता ने सैन्य संगठनों को कमजोर और निष्प्रभावी बना दिया था।
- इस प्रकार की सैन्य सरकार से लोगों के लगातार कम होते भरोसे ने भी वंश के पतन में योगदान दिया।
- तैमूर द्वारा किए जाने वाले नियमित आक्रमणों ने भी सैन्य क्षमताओं को कमजोर कर दिया था।
इब्राहिम लोधी के सख्त नियमों ने उसके कई गुप्त शत्रु पैदा कर दिए थे। उनमें से एक प्रमुख शत्रु उसका चाचा और लाहौर का शासक था जिसने इब्राहीम द्वारा किए गए अपमान का बदला लेने के लिए इब्राहीम को धोखा दिया और बाबर को लोधी साम्राज्य पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया। बाबर ने इब्राहीम को पानीपत की पहली लड़ाई में हरा दिया और इस तरह 1526 ई. में लोधी वंश के 75 वर्षों के शासन का कड़वा अंत हो गया।
लोधी वंश– 1451-1526 |
बहलुल लोधी |
1451 |
1489 |
सिकंदर लोधी |
1489 |
1517 |
इब्राहिम लोधी |
1517 |
1526 |