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यूरोप में राष्ट्रवाद उदय के कारण बताइए

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यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के  कारण 

  • मध्यम वर्ग का उदय पश्चिमी और मध्य यूरोप में औद्योगिक उत्पादन के कारण तथा व्यापार वृद्धि से शहरों का विकास होता गया और एक नए सामाजिक समूह का अस्तित्व प्रकाश में आया। यह श्रमिक वर्ग के मध्यमवर्गीय लोग थे। इन वर्गों में सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ असंतोष फैला और राष्ट्रवाद का जन्म हुआ।
  • उदाहरण वादियों द्वारा राष्ट्रवाद का प्रसार अनेक उदारवादी प्रवृत्ति के लोग अपने भाषणों लेखों तथा सभाओं द्वारा जनता में जन-जागरण करते रहते थे। यह उदारवादी व्यक्ति ऐसी सरकार बनाने पर जोर देते थे जो सबकी सहमति से बनी हो। यह उदारवादी व्यक्ति राजतंत्र व्यवस्था और सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ थे। उन्होंने लोगों में राष्ट्रीयता की भावना भरनी शुरू कर दी।
  • इंग्लैंड और फ्रांस की क्रांति इंग्लैंड की क्रांति ने इस धारणा को बल दिया कि किसी भी शासन तंत्र में दैवीय अधिकार का कोई मतलब नहीं। फ्रांस की क्रांति ने भी व्यक्ति को स्वतंत्रता की महत्ता से अवगत कराया। इस कारण लोगों में राजतंत्रीय व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश उत्पन्न हुआ और स्वतंत्रता प्राप्ति की उत्कंठा तीव्र होने लगी।
  • रूढिवाद ब्रिटेन, रूस और ऑस्ट्रिया जैसी शक्तियों ने एक समझौता करने के लिए वियना में मुलाकात की। यह लोग यह पुरातन सामंतवादी व्यवस्था को पुनः प्रतिष्ठित प्रतिष्ठित करने के लिए एकमत थे, लेकिन यह राष्ट्रवाद को पहचान नहीं पाए।
  • क्रांतिकारी — 1815 के बाद अनेक राज्यों की सरकारों द्वारा दमन के कारण अनेक उदारवादी राष्ट्रवादी भूमिगत हो गए थे।उन्होंने अपने विचारों का प्रचार करने के लिए और नए क्रांतियों क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए अनेक गुप्त संगठन बनाएं। इस तरह नए क्रांतिकारी उत्पन्न होते गए।
  • कला, भाषा और कविताओं का योगदान  राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में कविता, कला, कहानियां, संगीत, गीत-संगीत आदि ने भी अपना पूरा योगदान दिया।  ऐसे अनेक कवि लेखक हुए जिन्होंने अपनी गीतों, कविताओं के माध्यम से राष्ट्रवाद की भावना को और ज्यादा मुखर किया।

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