यूरोप के कुलीन वर्ग की विशेषतायें
- जीवन जीने की समान शैली
- भू-स्वामित्व
- कूटनीतिक भाषा
- आपस में वैवाहिक सम्बन्ध
सामाजिक और राजनीतिक रूप से जमीन का मालिक कुलीन वर्ग यूरोपीय महाद्वीप का सबसे प्रभुत्त्वशाली वर्ग था। इस वर्ग के सदस्य एक साझा जीवनशैली से बंधे हुए थे जो क्षेत्रीय विभाजनो के आर-पार व्याप्त थी।वे ग्रामीण इलाकों में जायदाद और शहरी- हवेलियों के मालिक थे। राजनीतिक कार्यों के लिए तथा उच्च वर्गों के बीच में फ्रेंच भाषा का प्रयोग करते थे। उनके परिवार अक्सर वैवाहिक बंधनों से आपस में जुड़े होते थे।मगर यह शक्तिशाली कुलीन वर्ग संख्या के लिहाज से एक छोटा समूह था। जनसंख्या के अधिकांश लोग कृषक थे। पश्चिम में ज्यादातर जमीन पर किराएदार और छोटे काश्तकार खेती करते थे।जबकि पूर्वी और मध्य यूरोप में भूमि विशाल जागीरो में बंटी थी। जिस पर भूदास खेती करते थे ।
पश्चिमी और मध्य यूरोप के हिस्सों में औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में वृद्धि से शहरों का विकास और वाणिज्यिक वर्गो का उदय हुआ जिनका का अस्तित्व बाजार के लिए उत्पादन पर टिका था।इंग्लैंड में औद्योगीकरण 18वीं सदी के दूसरे भाग में आरंभ हुआ लेकिन फ्रांस और जर्मनी के राज्यों के कुछ हिस्सों में यह 19वीं शताब्दी के दौरान ही हुआ ।इस प्रक्रिया के फलस्वरुप नए सामाजिक समूह अस्तित्व में आए श्रमिक-वर्ग के लोग और मध्य वर्ग जो उद्योगपतियों, व्यापारियों और सेवा क्षेत्र के लोगों से बने। मध्य और
पूर्वी यूरोप में इन समूहों का अकार उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशकों तक छोटा था। कुलीन विशेष अधिकारों की समाप्ति के बाद शिक्षित और उदारवादी मध्य वर्गों के बीच ही राष्ट्रीय एकता के विचार लोकप्रिय हुए।