मध्यकालीन यूरोप की प्रमुख विशेषता सामन्तवादी प्रथा थी। सामन्तवाद के अन्तर्गत राज्य की सम्पूर्ण भूमि पर राजा का अधिकार होता था। राजा राज्य की भूमि को अपने विश्वासपात्र, स्वाभिमानी और कर्तव्यनिष्ठ सामन्तों को दे देता था। ये सामन्त ड्यूक या अर्ल कहलाते थे। ड्यूक अपनी भूमि का कुछ भाग छोटे लॉ को दे देते थे। इन लॉ को बैरन भी कहा जाता था। सामन्तवादी प्रथा में निम्नतम श्रेणी में किसान आते थे। कृषकों के एक वर्ग को सर्फ (कृषि दास) कहा जाता था। इस प्रकार सामन्तवाद में भूमि सम्बन्धी अधिकार वंश-परम्परा पर आधारित थे।