कुलीन वर्ग के फ्रांस से पलायन के कारण
14 जुलाई, 1789 ई. को फ्रांस की क्रुद्ध भीड़ बास्तील के किले पर धावा बोलकर उसे नष्ट कर दिया तथा वहाँ के जेल में बन्द कैदियों को मुक्त कर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अफवाह फैल गयी कि जागीरों के मालिक भाड़े पर लठैतोंलुटेरों के गिरोह बुला लिए हैं जो पकी फसलों को नष्ट करने के लिए निकल पड़े हैं। अनेक जिलों में भय से आक्रान्त किसानों ने कुदालों और बेलचों से ग्रामीण किलों पर आक्रमण कर दिए। किसानों ने अन्न भण्डारों को लूट लिया तथा लगान सम्बन्धी दस्तावेजों को आग के हवाले कर दिया। ऐसी अराजक स्थिति में बड़ी संख्या में कुलीन अपनी जागीरें छोड़कर पलायन कर गए।
और उन्होंने पड़ोसी देशों में शरण लेकर अपना जीवन सुरक्षित किया।