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बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर चालक और अर्द्धचालक पदार्थों के विद्युत गुणों को समझाइए।

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बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर चालक और अर्द्धचालक पदार्थों के विद्युत गुणों

बैन्ड सिद्धान्त के अनुसार, प्रत्येक तत्व में दो प्रकार के बैन्ड उपस्थित होते हैं, संयोजक बैन्ड तथा आगामी उच्च रिक्त बैन्ड (चालकता बैन्ड)। इन दोनों बैन्डों के मध्य की दूरी को ऊर्जा अन्तराल कहते हैं। चालकों (धातुओं) में संयोजकता बैन्ड आंशिक रूप से भरा होता है, या रिक्त चालकता बैन्ड के साथ अतिव्यापन करता है जिससे विद्युत क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन आसानी से प्रवाहित हो सकते हैं और धातुएँ चालकता दर्शाती हैं।

अर्द्धचालकों में ऊर्जा अन्तराल कम होता है। इस कारण कुछ इलेक्ट्रॉन संयोजक बैन्ड से चालकता बैन्ड में चले जाते हैं। इस प्रकार अर्द्धचालक अल्पचालकता दर्शाते हैं। ताप बढ़ने पर अर्द्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ जाती है।
विद्युतरोधियों में ऊर्जा अन्तराल इतना अधिक होता है, कि इलेक्ट्रॉन इसे नहीं लाँघ सकते। अतः चालकता नहीं दर्शाते हैं।

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