भारत का स्वर्णयुग
गुप्त सम्राटों ने विशाल साम्राज्य स्थापित कर केन्द्रीय शक्ति को दृढ़ किया और श्रेष्ठ शासन प्रबन्ध द्वारा शांति स्थापित की। यह शासन व्यवस्था मौर्य कालीन तीन स्तरीय-स्थानीय, प्रान्तीय व केन्द्रीय से मिलती-जुलती थी। इस काल में साहित्य, कला, धर्म व संस्कृति का उल्लेखनीय विकास हुआ। गुप्तकाल में उद्योग धन्धे, व्यापार तथा वाणिज्य में अत्यधिक प्रगति हुई व्यापारिक संगठनों द्वारा विदेशों से व्यापार उन्नत दशा में था। पाटलिपुत्र, वैशाली व उज्जैनी समृद्ध नगर थे। देश धनधान्य से पूर्ण था। इस कारण गुप्तकाल को स्वर्णयुग कहते हैं।