भारत में कृषि मानसूनी वर्षा पर अधिक निर्भर है। जिस वर्ष वर्षा पर्याप्त नियमित एवं समय पर हो जाती है उस वर्ष किसान की फसल की पैदावार भी अच्छी होती है, किन्तु जब वर्षा कम होती है या समय पर *नहीं होती तो किसान की फसल नष्ट हो जाती है। इसी दृष्टि से भारत में मानसून को किसान का जुआ कहते हैं। वास्तव में मानसूनी वर्षा की प्रकृति इस प्रकार की है जिसे देखकर इससे होने वाले लाभ-हानि को निश्चित नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से वर्षा के असमान वितरण, अतिवृष्टि, अनावृष्टि तथा अल्प अवधि में ही अधिक वर्षा आदि लक्षणों के कारण इसे किसान की फसल की दृष्टि से एक जुआ माना जाता