भारत पर तैमूर का आक्रमण
तैमूर के एक पैर में जख्म हो गया था जिसके कारण वह लंगड़ा कर चलने को मजबूर था। यही वजह थी कि तैमूर को तैमूर लंग का खिताब दिया गया और दुनिया में वह इसी नाम से जाना गया। तैमूर मध्य एशिया का एक आक्रामक योद्धा था जिसने विश्व प्रसिद्ध विजेता बनने का ख्वाब देखा था। विदेशी भूमि को हड़पना और फिर उसे अपने शासन के अधीन कर लेना अब तैमूर का जुनून होता जा रहा था। यही जुनून अफगानिस्तान, फारस, सीरिया, कुर्दिस्तान, तुर्किस्तान और एशिया माइनर के क्षेत्रों पर उसके जीत की वजह बना।
मध्य एशियाई देशों पर जीत हासिल करने के बाद उसने सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत पर नजरें गड़ाईं। भारत में वह दिल से लूट– पाट करना चाहता था।
उसकी ज्वलंत इच्छा इसलिए भी उसे भारत ले आई क्योंकि इस अवधि में भारत कमजोर शासकों के अधीन था और यहां पूर्ण राजनीतिक अराजकता एवं लोगों के बीच असंतोष फैला था।
ऐसा, फिरोज शाह तुगलक की मौत की वजह से हो रहा था। इसलिए यह समय भारत में तैमूर के आने के लिये सबसे अच्छा समय था।
ऐतिहासिक कालक्रम में यह बहुत स्पष्ट लिखा है कि तैमूर भी भारत में काफिर हिन्दुओं को उनके पापों के शुद्धिकरण के नाम पर इस्लाम धर्म अपनाने और गाजी का खिताब हासिल करने के इरादे से भारत आया था। इसके अलावा, उसके भारत आने का मकसद चंगेज खान के सपनों को भी पूरा करना था।
उसने देश में खूब लूट– पाट की। क्रूर नरसंहार, लूटपाट और महिलाओं का अपमान इस हद तक पहुंच गया कि लोगों ने अपनी बेटियों एवं बहनों का विवाह बहुत कम उम्र में ही करने का फैसला कर लिया था।