भारी एवं लघु उद्योग में अन्तर
भारी यां वृहद् उद्योग बड़े पैमाने पर स्थापित किए जाते हैं। जिनके लिए अधिक पूँजी, कच्चा माल, श्रमशक्ति, भूमि, मशीन एवं शक्ति के साधनों की आवश्यकता होती है तथा अधिक मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन होता है। जैसे-लोहा-इस्पात, सीमेंट, दवाएँ, रासायनिक खादें, वस्त्र उद्योग, वायुयान, जलयान, मोटरगाड़ी, रेल के इंजन व डिब्बे आदि।
ये उद्योग सरकारी एवं निजी, दोनों क्षेत्रों में लगाए जाते हैं। इसके विपरीत लघु उद्योगों में कम पूँजी, श्रम एवं शक्ति के साधन तथा छोटी-छोटी मशीनों की आवश्यकता होती है। ये हल्के कच्चे माल का प्रयोग करते हैं तथा हल्की वस्तुओं का निर्माण करते हैं। कई बार ये भारी उद्योगों के उत्पादों के छोटे-छोटे भाग भी बनाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक सामान, पंखे, सिलाई मशीन, साइकिल, जूते, तेल, माचिस, खिलौना आदि लघु . उद्योग के उदाहरण हैं। ये उद्योग केवल निजी क्षेत्र में लगाए जाते हैं।