लघु ज्वार-यह ज्वार कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथियों में सूर्य और चन्द्रमा के पृथ्वी के साथ समकोणीय स्थिति में आने के कारण आता है। इस समकोणीय स्थिति के द्वारा सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के महासागरीय जल को अनेक दिशाओं में आकर्षित करते हैं। इस कारण महासागरों में ज्वार की ऊँचाई अन्य तिथियों की अपेक्षा कम रह जाती है। दीर्घ
ज्वार-यह ज्वार पूर्णिमा एवं अमावस्या के दिन सूर्य, पृथ्वी एवं चन्द्रमा के एक सीध में स्थित होने के कारण आता है। इस स्थिति के कारण ज्वार की ऊँचाई अन्य दिनों की अपेक्षा बीस प्रतिशत अधिक हो जाती है।