चक्रवात और प्रतिचक्रवात में अन्तर
वायुमण्डल में स्थानीय दशाओं के कारण भंवर उत्पन्न हो जाते हैं जो भयंकर झंझावातों का रूप धारण कर लेते हैं, इन्हें चक्रवात कहते हैं। ये विभिन्न आकार के होते हैं। इनका आकार 80 कि.मी. से 300 कि.मी. तक होता है। चक्रवातों में पवनें बाहर से केन्द्र की ओर चलती हैं। प्रतिचक्रवात में वायु की दिशा चक्रवात के विपरीत होती है। इसमें केन्द्र में उच्चवायुदाब रहता है और बाहर की ओर वायुदाब क्रमशः कम होता जाता है। इसमें पवन की गति धीमी पड़ जाती है। मौसम सामान्य हो जाता है। प्रतिचक्रवात की उपस्थिति, चक्रवात की समाप्ति का सूचक है।