खूनी रविवार
जनवरी, 1905 ई. में रूसी शासक जार से याचना करने के लिए एक रविवार को मजदूरों ने पादरी गैपॉन के नेतृत्व में एक शांतिपूर्ण जुलूस निकाला। लेकिन ज्यों ही जुलूस विंटर पैलेस पहुँचा, पुलिस एवं कोसैक्स ने उन पर हमला कर दिया। 100 से अधिक मजदूर मारे गए और कई घायल हो गए। यह घटना रविवार के दिन हुई थी, इसलिए इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है। खूनी रविवार ने घटनाओं की एक श्रृंखला को आरंभ कर दिया जिसे 1905 की क्रान्ति के नाम से जाना जाता है। पूरे देश में हड़तालों का आयोजन किया गया। जब नागरिक स्वतंत्रता के अभाव की शिकायत करते हुए छात्रों ने बहिष्कार किया तो विश्वविद्यालय बन्द हो गए। वकीलों, इंजीनियरों, डॉक्टरों एवं अन्य मध्यम श्रेणी के मजदूरों ने यूनियन ऑफ यूनियन्स बनाया तथा एक संविधान सभा की माँग की।