भंवर धाराएँ
सन् 1875 में फोको (Focault) ने देखा कि जब किसी धातु का टुकड़ा किसी परिवर्ती” (variable) चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, अथवा किसी चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार गति करता है कि उससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन हो, तो धातु के सम्पूर्ण आयतन में प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ये धाराएँ धातु के टुकड़े की गति का (अथवा फ्लक्स परिवर्तन का) विरोध करती हैं। इन धाराओं को ‘भंवर धाराएँ’ कहते हैं। फोको के नाम पर इन्हें ‘फोको धाराएँ’ भी कहा जाता है। कभी-कभी ये धाराएँ इतनी प्रबल हो जाती हैं कि धातु का टुकड़ा गर्म होकर लाल-तप्त हो जाता है।