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Pratham Singh in Physics
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बल आघूर्ण किसे कहते है परिभाषा,s.I मात्रक ,सूत्र और विमीय सूत्र हिंदी में और इसके उदाहरण यह एक सदिश राशि है.

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Deva yadav
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जब किसी वस्तु पर इस प्रकार बल आरोपित किया जाए की इस बल के कारण वस्तु किसी अक्ष के परित: घूमना शुरू कर दे तो ऐसे प्रभाव को बल आघूर्ण कहते है।
अर्थात बल आरोपित करने से वस्तु में उत्पन्न घुमने के प्रभाव (घूर्णन) को बल आघूर्ण कहा जाता है।


उदाहरण : जब किसी नट को खोलने के लिए एक पाना लगाया जाता है और हाथ द्वारा इसमें पर जोर लगाया जाता है अर्थात बल आरोपित किया जाता है जिससे यह नट खुमने लगता है और खुल जाता है या बंद हो जाता है।
यहाँ पाने के द्वारा हाथ से बल आरोपित किया जाता है जिससे नट घुमने लग जाता है अत: नट में बल आघूर्ण उत्पन्न हो जाता है।


बल आघूर्ण की गणितीय परिभाषा : आरोपित बल के परिमाण और घूर्णन अक्ष से बल की क्रिया रेखा की लंबवत दूरी के गुणनफल को बल आघूर्ण कहते है।
बल आघूर्ण = बल x घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरी
 τ = F x r
यहाँ F = आरोपित बल
r = घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरी
τ = बल आघूर्ण
यदि किसी वस्तु पर आरोपित बल न्यूटन में हो और दूरी मीटर में मापी जाए तो वस्तु पर उत्पन्न बल आघूर्ण का मापन ‘न्यूटन-मीटर’ में किया जायेगा।
अर्थात बल आघूर्ण का SI मात्रक “न्यूटन-मीटर” होता है।


बल आघूर्ण एक अक्षीय सदिश राशि होती है और इसकी दिशा हमेशा दूरी r और बल F के लम्बवत होती है।
बल आघूर्ण की दिशा ज्ञात करने के लिए दायें हाथ का पेंच नियम काम में लिया जाता है।
जब आरोपित बल और घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरी का मान अधिक होता है तो बल आघूर्ण का मान भी अधिक होता है जैसे हम सूत्र से देख सकते है , जब दूरी का मान अधिक होता है तो बल आघूर्ण का मान अधिक होता है जिससे वस्तु को घुमाना आसान हो जाता है।
यही कारण है कि जब किसी हाथ से चलने वाली जनरेटर का हेंडल जितना छोटा होता है , जनरेटर को घुमाना उतना ही कठिन होता है और हेंडल जितना अधिक होता है इसे घुमाना उतना ही आसान होता है क्यूंकि घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरी का मान बढ़ जाता है जिससे बल आघूर्ण का मान भी अधिक हो जाता है।


अन्य उदाहरण :

1. जब किसी गेट को उसके कब्जे के पास से बल लगाया जाता है तो यह कठिनाई से खुलता है लेकिन जब इसे कब्जे से दूरी पर से खोला जाता है तो यह आसानी से खुल जाता है।
2. पेचकस के हत्थे को जितना अधिक दूरी से पकड़ा जाता है वह नट को उतने से आसानी से खुल जाता है तथा जब पेचकस को बहुत ज्यादा पास से पकड़कर नट को खोलने का प्रयास किया जाए तो यह आसानी से नही खुलता है क्यूंकि घूर्णन अक्ष से लम्बवत दूरी का मान कम हो जाता है।

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