भूकंप के प्रभाव.
भूकंप के प्रभावों में निम्न लिखित शामिल हैं, लेकिन ये प्रभाव यहाँ तक ही सीमित नहीं हैं।
झटके और भूमि का फटना.
झटके और भूमि का फटना भूकंप के मुख्य प्रभाव हैं, जो मुख्य रूप से इमारतों व अन्य कठोर संरचनाओं कम या अधिक गंभीर नुक्सान पहुचती है। स्थानीय प्रभाव कि गंभीरता भूकंप के परिमाण के जटिल संयोजन पर, epicenter से दूरी पर और स्थानीय भू वैज्ञानिक व् भू आकरिकीय स्थितियों पर निर्भर करती है, जो तरंग के प्रसार [6] कम या अधिक कर सकती है। भूमि के झटकों को भूमि त्वरण से नापा जाता है।
विशिष्ट भूवैज्ञानिक, भू आकरिकीय और भू संरचनात्मक लक्षण भू सतह पर उच्च स्तरीय झटके पैदा कर सकते हैं, यहाँ तक कि कम तीव्रता के भूकंप भी ऐसा करने में सक्षम हैं। यह प्रभाव स्थानीय प्रवर्धन कहलाता है। यह मुख्यतः कठोर गहरी मृदा से सतही कोमल मृदा तक भूकम्पीय गति के स्थानांतरण के कारण है और भूकंपीय उर्जा के केन्द्रीकरण का प्रभाव जमावों कि प्रारूपिक ज्यामितीय सेटिंग करता है।
दोष सतह के किनारे पर भूमि कि सतह का विस्थापन व भूमि का फटना दृश्य है, ये मुख्य भूकम्पों के मामलों में कुछ मीटर तक हो सकता है। भूमि का फटना प्रमुख अभियांत्रिकी संरचनाओं जैसे बांधों , पुल (bridges) और परमाणु शक्ति स्टेशनों के लिए बहुत बड़ा जोखिम है, सावधानीपूर्वक इनमें आए दोषों या संभावित भू स्फतन को पहचानना बहुत जरुरी है।[7]
भूस्खलन और हिम स्खलन
भूकंप, भूस्खलन और हिम स्खलन पैदा कर सकता है, जो पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है।
एक भूकंप के बाद, किसी लाइन या विद्युत शक्ति के टूट जाने से आग लग सकती है। यदि जल का मुख्य स्रोत फट जाए या दबाव कम हो जाए, तो एक बार आग शुरू हो जाने के बाद इसे फैलने से रोकना कठिन हो जाता है।
मिट्टी द्रवीकरण
मिट्टी द्रवीकरण तब होता है जब भूूूकंप के झटकों के कारण जल संतृप्त दानेदार पदार्थ अस्थायी रूप से अपनी क्षमता को खो देता है और एक ठोस से तरल में रूपांतरित हो जाता है। मिट्टी द्रवीकरण कठोर संरचनाओं जैसे इमारतों और पुलों को द्रवीभूत में झुका सकता है या डूबा सकता है।
सुनामी
समुद्र के भीतर भूकंप से या भूकंप के कारण हुए भू स्खलन के समुद्र में टकराने से सुनामी आ सकते है। उदाहरण के लिए, २००४ हिंद महासागर में आए भूकंप.
बाढ़
यदि बाँध क्षतिग्रस्त हो जाएँ तो बाढ़ भूकंप का द्वितीयक प्रभाव हो सकता है। भूकंप के कारण भूमि फिसल कर बाँध की नदी में टकरा सकती है, जिसके कारण बाँध टूट सकता है और बाढ़ आ सकती है।
मानव प्रभाव
भूकंप रोग, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, जीवन की हानि, उच्च बीमा प्रीमियम, सामान्य सम्पत्ति की क्षति, सड़क और पुल का नुकसान और इमारतों को ध्वस्त होना, या इमारतों के आधार का कमजोर हो जाना, इन सब का कारण हो सकता है, जो भविष्य में फ़िर से भूकंप का कारण बनता है।
मानव पर पड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव है.