मरुस्थलीय प्रदेश के प्राकृतिक वातावरण को मानव जीवन पर प्रभाव
मरुस्थलीय क्षेत्र की जलवायु बहुत विषम है। यहाँ पानी की कमी और तापमान में बहुत अंतर पाया जाता है। ताप कभी बहुत अधिक तो कभी बहुत कम होता है। इन सब कारणों से यहाँ जनसंख्या बहुत कम है और बस्तियाँ बहुत दूर-दूर बसी हैं। यहाँ पर रह रही आदिवासी जातियों में अरब की ‘बर्दू’ और कालाहारी की ‘बुशमैन’ जातियाँ प्रमुख हैं। कालाहारी के बुशमैन पूरी तरह शिकार पर निर्भर होकर जीवन गुजारते हैं जबकि अरब के बर्दू जानवरों के चारे व पानी की खोज में इधर-उधर घूमा करते हैं। यहाँ के लोग लम्बी यात्रा में ऊँट या बकरी की खाल से बने थैले में पानी भर कर ले जाते हैं, इसमें पानी देर तक ठण्डा रहता है।