हम सभी जानते हैं कि जो चीज प्रकाश को जितना ज्यादा अवशोषित करती है वो उतनी ही काली दिखाई देती है। क्लास रूम का ब्लैकबोर्ड लगभग 93% प्रकाश को अवशोषित कर लेता इसी प्रकार एस्फाल्ट से बनी सड़क भी लगभग 97% प्रकाश ही अवशोषित कर पाती है। वास्तव में पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से ऐसा कोई पदार्थ नही पाया जाता जिसे वास्तविक अर्थों में काला कहा जा सके। जिसे आप काला समझते हैं, वो असल मे काला ना होकर "भूरा" रंग होता है। ब्रह्मांड की सबसे काली चीज निर्विवाद रूप से एक "ब्लैकहोल" होता है जिसका गुरुत्व इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश भी ब्लैकहोल में जाने के बाद वापस नही आ पाता।
सन 2014 में ब्रिटेन की सुरी नैनो सोलुशन नामक कंपनी ने एक नये किस्म के पदार्थ के निर्माण में सफलता पायी है जिसे उन्होंने वेंटाब्लैक (Vantablack) नाम दिया है। सन 2016 में उन्होंने इस पदार्थ का द्वितीय वर्शन लांच किया है। कार्बन की खोखली नैनो ट्यूब्स से बना यह करिश्माई पदार्थ प्रकाश की 99.99% मात्रा को सोखने में सक्षम है। इस पदार्थ की प्रत्येक नैनोट्यूब सिर्फ 20 नैनो मीटर मोटी यानी एक इंसान के बाल से भी 3500 गुना पतली है और प्रत्येक ट्यूब की लंबाई लगभग 14-50 माइक्रोन है। कंपनी ने इस पदार्थ को बनाने की विधि व्यापारिक कारणों से सार्वजनिक नही की है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस पदार्थ में मौजूद कार्बन ट्यूब्स की संरचना इस प्रकार की गई है कि प्रकाश इन ट्यूब में फंस कर इधर-उधर बाउंस होता रहता है और अंततः ऊष्मा में परिवर्तित होकर विलीन हो जाता है।
वेंटाब्लैक नामक यह मैटेरियल इतना काला है कि इसे देख कर इसके "ब्लैकहोल" होने का एहसास होता है। स्पेसटाइम में एक छेद प्रतीत होते इस करिश्माई पदार्थ को निरंतर देखने वाले मनुष्यों को आतंकित कर देने वाले अनुभव प्राप्त हुए हैं। 2018 में साउथ कोरिया में होने वाले विंटर ओलंपिक के लिए हुंडई पवेलियन नाम से एक ऐसी बिल्डिंग पब्लिक डिसप्ले के लिए खासतौर पर बनाई गई है जो पूरी तरह वेंटाब्लैक से ढकी होगी और इस बिल्डिंग पर रोशनियों की बौछार इस प्रकार की गई है कि यह "तारों से जगमग ब्रह्मांड" का प्रतिरूप लगती है। छोटी-छोटी सितारों सरीख़ी रोशनियों से सज्जित इस इमारत को देख ऐसा अनूठा आभास होता है मानों यह पृथ्वी से ब्रह्मांड की अंधेरी वादियों की तरफ खुलने वाला एक मायावी द्वार है।
ज्यो-ज्यो आप इमारत की तरफ कदम बढाएंगे... वैसे-वैसे आपको प्रतीत होगा... जैसे कि आप पृथ्वी से ब्रह्मांड की अंधेरी गहराइयों की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
और अंततः इमारत में कदम रखने पर आप ब्रह्मांड की अन्धकारपूर्ण रिक्तता में विलीन हो जाते हैं।