अनाच्छादन
अनाच्छादन का अंग्रेजी पर्यायवाची शब्द ‘Denudation’ है, जिसकी व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के Denudare शब्द से हुई है। ‘डेन्यूड़े का अर्थ आवरण हटने से है। इस प्रकार अनाच्छादन का शाब्दिक अर्थ धरातल के आवरण के हटने या कटने से है।
मोंकहाउस के शब्दों में, “अनाच्छादन शब्द का प्रयोग विस्तृत रूप में उन सभी साधनों के कार्यों के लिए किया जाता है, जिनसे भूपटल के किसी भाग का विनाश, अपव्यय तथा हानि होती है, इस प्रकार पृथक् हुए पदार्थ का अन्यत्र निक्षेप होता है, जिससे परतदार चट्टानें बनती हैं।”
अनाच्छादन के अन्तर्गत मुख्यत: दो प्रकार की प्रक्रियाएँ निहित होती हैं—स्थैतिक प्रक्रियाएँ (अपक्षयु) तथा गतिशील प्रक्रियाएँ (अपरदन) (चित्र 6.4)। स्थैतिक प्रक्रिया में कोई भी चट्टान अपने ही स्थान पर टूट-फूटकर चूरा मात्र हो जाती है। इसमें ताप, वर्षा, तुषार, वनस्पति, जीव-जन्तु आदि कारकों का महत्त्वपूर्ण योग होता है। यह स्थैतिक प्रक्रिया अपक्षय कहलाती है। गतिशील प्रक्रिया के अन्तर्गत चट्टानों का विदीर्ण होना, विदीर्ण पदार्थों का परिवहन तथा निक्षेप सम्मिलित है। यह कार्य प्रवाही जल, पवन, हिमनद, भूमिगत जल आदि कारकों द्वारा सम्पन्न होता है। यह गतिशील प्रक्रिया अपरदन कहलाती है।