बराहमिहिर (Varahamihira) एक प्रमुख भारतीय गणितज्ञ, ज्योतिषशास्त्री, और वैद्य थे, जिन्होंने 6वीं शताब्दी में जीवन बिताया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे, जिनमें "बृहद्जातक" (Brihat Jataka) और "बृहदसंहिता" (Brihat Samhita) शामिल हैं।
"बृहदसंहिता" एक महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रंथ है, जिसमें भूमंडल, वैद्यकीय ज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र, और अन्य विज्ञानों के विभिन्न पहलुओं का विवेचन किया गया है। इस ग्रंथ में चारों वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र) के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के न्याय कसौटियां (लॉ कोड) और उनके जीवन में उपयोगी सुझाव दिए गए हैं। इन न्याय कसौटियों का उद्देश्य समाज में न्याय और धर्म की स्थापना करना था।
बराहमिहिर की बृहदसंहिता भारतीय ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ग्रंथ मानी जाती है और यह भारतीय ज्योतिष और वैद्यकीय गणित के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान का प्रतीक है।
वराहमिहिर (वरःमिहिर) ईसा की पाँचवीं-छठी शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलज्ञ थे। वाराहमिहिर ने ही अपने पंचसिद्धान्तिका में सबसे पहले बताया कि अयनांश का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर है। यह चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे।