दिव्यावदान स्त्रोत के अनुसार अशोक ने अपनी वृद्धावस्था में राजसिंहासन का अपने पौत्र सम्प्रति के पक्ष में परित्याग किया। दिव्यावदान एक ऐतिहासिक ग्रंथ है, जिसमें पुष्यमित्र शुंग को मौर्य वंश का अन्तिम शासक बतलाया गया है। इसमें महायान एवं हीनयान दोनों के अंश पाए जाते हैं। विश्वास है कि इसकी सामग्री बहुत कुछ मूल सर्वास्तिवादी विनय से प्राप्त हुई है। दिव्यावदान में दीर्घागम, उदान, स्थविरगाथा आदि के उद्धरण प्राय: मिलते हैं।