द्विवेदी जी ने कुतर्कवादियों की स्त्री-शिक्षा विरोधी दलीलों का जोरदार खंडन किया है। उन्होंने कहा कि यदि स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं तो पुरुषों को पढ़ाने से भी अनर्थ होते होंगे। यदि पढ़ाई को अनर्थ का कारण माना जाए। तो सुशिक्षित पुरुषों द्वारा किए जाने वाले सारे अनर्थ भी पढ़ाई के दुष्परिणाम माने जाने चाहिए। अतः उनके भी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए जाने चाहिए।
द्विवेदी जी ने दूसरा तर्क यह दिया कि शकुंतला ने दुष्यंत को कुवचन कहे। ये कुवचन उसकी शिक्षा के परिणाम नहीं थे, बल्कि उसका स्वाभाविक क्रोध था।