सांस्कृतिक समारोह में काम करने वाले सहायक लोगों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। उनके सहयोग के बिना मंच पर दृश्य अभिनीत नहीं हो सकते। वे ही मंच-सज्जा करते हैं। एक-एक उपकरण को सही जगह पर सजाते हैं। दो ही मिनट में नाटक खेलने की तैयारी करना कोई हँसी-खेल नहीं है। योग्य और कुशल सहायक ही ऐसा कर सकते हैं। अनाड़ी
और लापरवाह सहायकों के कारण कई बार बड़े-बड़े नाटक असफल हो जाते हैं। यदि मंच के पीछे खड़ा सहायक ठीक समय पर पृष्ठभूमि में बजने वाला टेप-रिकार्डर न चला सका, या आग का गोला न जला सका, या मटका आदि उपलब्ध न करा सका तो नाटक धरा का धरा रह जाएगा। मंच के पीछे खड़े सहायक ही मंच के सारे सामान को सँभालकर कलाकारों को चिंतामुक्त करते हैं। यदि कलाकारों को अपना सामान आदि उठाने की भी फिक्र हो तो उसका तनाव मंच पर भी दिखाई देने लगेगा। इस प्रकार मंच के सहयोगियों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।