लेखक के मन में मूवी कैमरा, टेपरिकार्डर आदि की तीव्र उत्कंठी थी कि ये सब उसके पास होता तो वह बाढ़ग्रस्त लोगों की तसवीरें खींचता और पानी के कल-कल के अलावा लोगों की चीख-पुकार को टेप कर लेता, पर ऐसा करने के लिए पानी के अत्यंत निकट जाना पड़ता जिसके लिए लेखक में इतना साहस न था। इसके अलावा इस तरह के दृश्य और आवाजें किसी सैलानी या संवेदनहीन व्यक्ति को आनंदित कर सकते थे, किसी संवेदनशील को नहीं। लेखक संवेदनशील व्यक्ति था, इसलिए लेखक ने अंत में उक्त कथन कहा।