जल संभर वह क्षेत्र है जिसे बड़ी नदी की एक सहायक नदी सींचती हैं। इसके विपरीत एक ऐसा विशाल क्षेत्र जिसे एक नदी और उसकी सहायक नदियाँ सींचती हैं उसे द्रोणी कहा जाता है। इस प्रकार जल संभर नदी द्रोणी का एक भाग-मात्र होता है।
जब एक जल संभर का विकास करने के लिए अनेक प्रयत्न किये जाते हैं तो इसे जल संभर विकास कहते हैं । जल संभर विकास में क्षेत्र को विकसित करने के अनेक प्रयत्न किए जाते हैं जैसे जल संग्रहण, मिट्टी और आर्द्रता का संरक्षण, वृक्षारोपण, उद्यान-कृषि, चारागाह विकास तथा सामुदायिक भूमि संसाधनों का विकास आदि सम्मिलित होता है। ऐसे कार्य में स्थानीय लोगों के सहयोग एवं सहायता की आवश्यकता पड़ती है। राज्य एवं केन्द्रीय सरकारें जल संभर विकास को सफल बनाने में हर सम्भव प्रयत्न करती हैं ताकि भूमि की क्षमता भी बनी रहे और स्थानीय लोगों की आवश्यकताएँ भी पूरी होती रहें।