जल संग्रहण/वर्षा की खेती का तात्पर्य आर्द्र खेती से है, जो विशेषकर कांप और काली मिटटी के क्षेत्रों में की जाती है। यहाँ 100 से 200 सेमी. वर्षा होती है । मध्यवर्ती गंगा का मैदान इसका प्रमुख क्षेत्र है जहाँ प्रायः दो फसलें पैदा की जाती है और कभी-कभी जायद की फसल भी उत्पन्न कर ली जाती है। ऐसे क्षेत्र में उन्नत सिंचाई तंत्र का भी शुष्क मौसम में प्रयोग कर लिया जाता है।