क्रॉमवेल की शासन-नीति (1649-60) से अंग्रेज जनता तंग आ चुकी थी। परिणामस्वरूप सन् 1660 ई० में इंग्लैण्ड में पुनः राजतन्त्र की स्थापना हुई तथा चार्ल्स द्वितीय को राजा बनाया गया। उसकी मृत्यु के बाद उसको उत्तराधिकारी जेम्स द्वितीय गद्दी पर बैठा। वह एक निरंकुश शासक तथा कट्टर कैथोलिक था, जब कि इंग्लैण्ड में प्रोटेस्टेण्ट धर्म का बहुमत था। जेम्स के घर पुत्र-जन्म की सूचना से भी जनता में रोष फैल गया। जनतो यह सोचने लगी कि अब इंग्लैण्ड में कैथोलिक राजवंश ही सदैव के लिए स्थायी हो जाएगा। अतः संसद ने राजा जेम्स द्वितीय के दामाद वे हॉलैण्ड के शासक विलियम ऑफ ऑरेज को जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए सेना सहित आने का निमन्त्रण भेजा। विलियम के इंग्लैण्ड आगमन पर जेम्स द्वितीय अपनी पत्नी व नवजात पुत्र के साथ देश छोड़कर फ्रांस भाग गया। संसद ने विलियम तृतीय (विलियम ऑफ ऑरेन्ज) तथा रानी मेरी (विलियम तृतीय की पत्नी तथा भगोड़े राजा जेम्स द्वितीय की पुत्री) को इंग्लैण्ड को संयुक्त शासक बना दिया। इस प्रकार 1688 ई० में इंग्लैण्ड में रक्तहीन गौरवपूर्ण क्रान्ति सम्पन्न हुई।