in इतिहास
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रूस की 1905 ई. की क्रान्ति 1917 ई. की क्रान्ति पर संक्षिप्त वर्णन कीजिये

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9 जनवरी, 1905 ई. को रविवार के दिन मास्को में एक विशाल जुलूस रूसी शासक जार के महल की ओर अग्रसर था। आंदोलनकारी नेता जार को अपनी 11 सूत्रीय माँगों वाली एक याचिका देने जा रहे थे। जुलूस में शामिल लोग यह नारा लगा रहे थे कि “छोटे भगवान! हमें रोटी दो!” जार चाहता था कि रूस की जनता उसे भगवान की तरह पूजे। इसी कारण रूस के लोग उसे ‘छोटा भगवान’ कहते थे। जार के सैनिकों ने इन निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी जिसमें एक हजार के लगभग लोग वहीं मारे गए।

सेना ने 60 हजार के लगभग लोगों को बंदी बना लिया। इसीलिए 9 जनवरी, 1905 ई. का दिन रूस के इतिहास में लाल रविवार (खूनी रविवार) के नाम से जाना जाता है। उस समय तो प्रदर्शनकारियों को सेना ने बलपूर्वक दबा दिया किन्तु क्रान्ति की चिंगारी उनके भीतर सुलगती रही और 1917 ई. में एक क्रान्ति के रूप में प्रकट हुई। इसीलिए 1905 ई. की क्रान्ति को 1917 ई. की क्रान्ति की जननी कहा जाता है।

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