प्रथम विश्व युद्ध का 1917 की रूसी क्रान्ति पर पड़ने वाले प्रभाव
प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ होने से पहले यूरोप में दो गुट सक्रिय थे। एक गुट में इंग्लैण्ड, फ्रांस तथा रूस थे जबकि दूसरे गुट में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और इटली शामिल थे। प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ होने के समय रूस अपने गुट का साथ देने के लिए युद्ध में शामिल हो गया। लेकिन रूस के पास धन, सैन्य शक्ति और अस्त्र-शस्त्रों का अभाव था। ऐसे में रूसी सरकार ने किसानों को बलपूर्वक सेना में शामिल करके बड़ी संख्या में युद्ध के मैदान में भेज दिया। एक अनुमान के अनुसार प्रथम विश्व युद्ध में 17 लाख सैनिक मारे गए, 5 लाख के लगभग घायल हुए तथा 20 लाख बन्दी बनाए गए। ऐसी विषम परिस्थिति में युद्ध से पीड़ित सैनिकों के परिवारों तथा पड़ोसियों में सरकार के विरुद्ध विद्रोह की भावनाएँ पनपने लगीं। ये जनभावनाएँ आगे चलकर रूसी क्रान्ति का एक प्रमुख कारण बनीं।