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Sarthak yadav in Biology
डार्विन के चयन सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखे गए प्रतिजैविक प्रतिरोध के बारे में बताओ |

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Sarthak yadav
रोगजनक जीवाणुओं के विरुद्ध प्रतिजैविक अत्यन्त प्रभावी होते हैं किन्तु किसी नये प्रतिजैविक के विकास के 2 – 3 वर्ष पश्चात् नये प्रतिजैविक प्रतिरोधी, समष्टि में प्रकट हो जाते हैं। कभी-कभी एक जीवाणुवीय समष्टि में एक अथवा कुछ ऐसे जीवाणु उत्परिवर्तन युक्त होते हैं जो उन्हें प्रतिजैविक के लिए प्रतिरोधी बनाते हैं। इस प्रकार के प्रतिरोधी जीवाणु तेजी से गुणन व उत्तरजीविता करने लगते हैं। शीघ्र ही प्रतिरोधिता प्रदान करने वाले जीन दूर-दूर तक फैल जाते हैं व सम्पूर्ण जीवाणु समष्टि प्रतिरोधी बन जाते हैं। कुछ अस्पतालों में प्रतिजैविक प्रतिरोधी पनपते रहते हैं क्योंकि वहाँ प्रतिजैविकों का अत्यधिक प्रयोग होता है।

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