धातु – क्रिया के मूल रूप को धातु कहते है।
दूसरे शब्दों में – धातु क्रियापद के उस अंश को कहते है, जो किसी क्रिया प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। तात्पर्य यह कि जिन मूल अक्षरों से क्रियाएँ बनती है, उन्हें धातु कहते है।
पढ़, जा, खा, लिख आदि।
उदाहरण – पढ़ाना क्रिया को ले। इसमें ना प्रत्यय है, जो मूल धातु पढ़ में लगा है।
इस प्रकार पढ़ना क्रिया की धातु पढ़ है।
इसी प्रकार खाना क्रिया खा धातु में ना प्रत्यय लगाने से बनी है।
सामान्य क्रिया-क्रिया के मूल रूप अर्थात धातु के साथ ना जोड़ने से क्रिया का सामान्य रूप बनता है।
जैसे – पढ़ – ना पढ़ना
लिख – ना लिखना
जा- ना जाना
खा- ना खाना
धातु के भेद
व्युत्पत्ति अथवा शब्द-निमार्ण की दृष्टि से धातु पाँच प्रकार की होती है-
(1) मूल धातु
(2) यौगिक धातु
(3) नामधातु (Nominal verb)
(4) मिश्र धातु
(5) अनुकरणात्मक धातु
(1) मूल धातु – मूल धातु स्वतन्त्र होती हैं यह किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होती है। जैसे – खा, देख, पी इत्यादि।
(2) यौगिक धातु – यौगिक धातु किसी प्रत्यय के योग से बनती है। जैसे- ‘खाना’ से खिला, ‘पढ़ना’ से पढ़। इस प्रकार धातुएँ अनन्त है- कुछ एकाक्षरी, दो अक्षरी, तीन अक्षरी तीन अक्षरी और चार अक्षरी धातुएँ होती हैं।
यौगिक धातु की रचना
यौगिक धातु तीन प्रकार से बनती है-
- धातु में प्रत्यय लगाने से अकर्मक से सकर्मक और प्रेरणार्थक धातुएँ बनती है;
- कई धातुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है;
- संज्ञा या विशेषण से नाम धातु बनती है।
(3) नामधातु (Nominal verb) – जो धातु संज्ञा या विशेषण से बनती है, उसे ‘नामधातु’ कहते है। जैसे-
संज्ञा से – हाथ- हथियाना।
संज्ञा से – बात- बतियाना।
विशेषण से – चिकना- चिकनाना।
विशेषण ये – गरम- गरमाना।
(4) मिश्र धातु – जिन संज्ञा, विशेषण और क्रिया विशेषण शब्दों के बाद ‘करना’ या ‘होना’ जैसे क्रिया पदों के प्रयोग से जो नई क्रिया धातुएँ बनती है उसे मिश्र धातु कहते है।
होना या करना – काम करना, काम होना
देना- पैसा देना, उधार देना।
मारना- गोता मारना, डींग मारना।
लेना-काम लेना, खा लेना।
जाना- चले जाना, सो जाना।
आना- किसी का याद आना नजर आना।
(5) अनुकरणात्मक धातु – जो धातुएँ किसी ध्वनि के अनुकरण पर बनाई जाती है, उसे अनुकरणात्मक धातु कहते है।
जैसे- पटकना, टनटनाना, खटकना धातुएँ अनुकरणात्मक धातु के अंतर्गत आती है।