चिरांद, लाल मृदभांद, और काले मृदभांद का सम्बन्ध आयुर्वेद में उपयोगी धातु "लोह" (Iron) से है। इन मृदभांदों का रंग लोह की उपस्थिति के आधार पर निर्धारित होता है:
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चिरांद: चिरांद मृदभांद का रंग हरा होता है, और यह इस मृदभांद में लोह की प्राकृतिक उपस्थिति को दर्शाता है। चिरांद आयुर्वेद में औषधियों के तैयारी में उपयोग होता है, खासतर इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में रसायन औषधियों के रूप में प्रयोग किया जाता है।
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लाल मृदभांद: लाल मृदभांद का रंग लाल होता है और इसमें भी लोह की प्राकृतिक उपस्थिति होती है। यह आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में उपयोग होता है और खासतर शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।
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काले मृदभांद: काले मृदभांद का रंग काला होता है और यह भी लोह की उपस्थिति को दर्शाता है। इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेष रूप से दिल के रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।
इन मृदभांदों को आयुर्वेद में उपयोग करते समय उनके रंग के आधार पर उनकी गुणधर्मों और उपयोग के लिए निर्देश दिए जाते हैं, जिससे विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज में उनका सहायक रोल होता है।