Welcome to the Hindi Tutor QA. Create an account or login for asking a question and writing an answer.
Pratham Singh in हिन्दी व्याकरण
edited
शांत रस का स्थाई भाव क्या होता है रस किसे कहते हैं रस के कितने प्रकार होते हैं शांत रस विकिपीडिया शांत रस की कविता रस के 10 उदाहरण शांत रस उदाहरण। 

1 Answer

+2 votes
Deva yadav
edited

परिभाषा

शान्त रस का अर्थ–तत्त्व–ज्ञान की प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है। जहाँ न दुःख है, न सुख, न द्वेष है, न राग और न कोई इच्छा है, ऐसी मन:स्थिति में उत्पन्न रस को मुनियों ने ‘शान्त रस’ कहा है।

उदाहरण

कबहुँक हौं यहि रहनि रहौंगो।

श्री रघुनाथ–कृपालु–कृपा तें सन्त सुभाव गहौंगो।।

जथालाभ सन्तोष सदा काहू सों कछु न चहौंगो।

परहित–निरत–निरंतर मन क्रम बचन नेम निबहौंगो। । 

 स्पष्टीकरण

इस पद में तुलसीदास ने श्री रघुनाथ की कृपा से सन्त–स्वभाव ग्रहण करने की कामना की है। ‘संसार से पूर्ण विरक्ति और निर्वेद’ स्थायी भाव हैं। ‘राम की भक्ति’ आलम्बन है। साधु–सम्पर्क एवं श्री रघुनाथ की कृपा उद्दीपन है। ‘धैर्य, सन्तोष तथा अचिन्ता ‘अनुभाव’ हैं। ‘निर्वेद, हर्ष, स्मृति’ आदि’ संचारी भाव हैं। इस प्रकार यहाँ शान्त रस का पूर्ण परिपाक हुआ है।

शांत रस

Related questions

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...