द्वितीय विश्व-युद्ध की घटनाएं
1. पोलैण्ड का युद्ध -
1 सितम्बर 1937 ई. को जर्मनी ने पोलैण्ड पर आक्रमण किया, क्योंकि उसने उसकी अनुचित माँगें को स्वीकार नहीं किया था। जर्मनी ने पोलैण्ड पर जल, थल और वायु सेना से आक्रमण किया। पोलैण्ड की सेना जर्मनी को सेना का सामान करने में असमर्थ रही। पंद्रह दिन में जर्मन सेना का पोलैण्ड की राजधानी बारसा पर अधिकार हो गया। एक समझौते द्वारा दोनों ने पोलैण्ड का विभाजन स्वीकार किया।
2. रूस का फिनलैण्ड पर आक्रमण -
रूस फिनलैण्ड पर अधिकार करना चाहता था। उसने फिनलैण्ड की सरकार से बंदरगाह और द्वीप माँगे और जब उसने उनको देने से इंकार किया तो रूस ने 30 नवम्बर 1936 ई. को फिनलैण्ड पर आक्रमण कर उसको अपने अधिकार में किया।
3. नार्वे और डेनमार्क पर आक्रमण -
9 अप्रैल 1940 ई. को जर्मनी ने नार्वे पर आक्रमण कर उसके कई बंदरगाहों पर आक्रमण किया और वहाँ एक नई सरकार का संगठन किया। इसी दिन जर्मनी ने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन पर भी अधिकार कर लिया। इन विजयों का परिणाम यह हुआ कि इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री चेम्बरलेन को त्याग-पत्र देना पड़ा और उसके स्थान पर चर्चिल इंग्लैण्ड का प्रधानमंत्री बना।
4. हॉलैण्ड और बेल्जियम का पतन -
10 मई 1940 ई. को जर्मनी ने हॉलैण्ड पर आक्रमण किया। 19 मई को डच सेनाओं ने आत्मसमर्पण कर दिया। हॉलैण्ड पर जर्मनी का अधिकार हो गया। हॉलैण्ड के साथ-साथ जर्मनी ने बेल्जियम पर भी आक्रमण किया बेल्जियम की रक्षार्थ ब्रिटिश सेनायें बेल्यिजम में प्रवेश करने गयी थीं इसी समय उसने फ्रांस पर भी आक्रमण कर दिया था। जर्मनी ने बेि ल्जयम के कई नगरों पर आक्रमण किया। 27 मई को बेल्जियम की सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
5. फ्रांस की पराजय -
3 जून 1940 ई. को जर्मनी ने तीन ओर से फ्रांस पर आक्रमण किया। 3 जून को उसने फ्रांस की रक्षा पंक्ति को तोड़ डाल और चारों ओर से पेरिस नगर पर आक्रमण किया। 10 जून को इटली ने फ्रांस के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की और फ्रांस पर आक्रमण किया। 19 जून को जर्मनी की सेना का पेरिस नगर पर अधिकार हुआ। 22 जून को फ्रांस ने आत्मसमर्पण किया और युद्ध विराम संधि हुई।
6. यूगोस्लाविया और यूनान की पराजय -
28 अक्टूबर को हिटलर का ध्यान ईरान और मिश्र की ओर आकर्षित हुआ। उसने 28 अक्टूबर 1940 ई. को ग्रीस को यह संदेश भेजा कि वह अपने कुछ प्रदेश जर्मनी को प्रदान करे। ग्रीस अभी तक भी समझ नहीं कर पाया था कि उस पर आक्रमण कर दिया गया है। इटली की सेना ने उस पर आक्रमण किया। ग्रीस ने बड़ी वीरता से उसका सामना किया। बाद में उसकी सहायता के लिए जर्मन सेना आई। इसी बीच में जर्मनी ने हंगरी, रूमानिया और बल्गारिया से संधि की। यूगोस्लाविया ने संधि करने से इंकार कर दिया।