प्रथम विश्व युद्ध
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूस की सेना जर्मनी और ऑस्ट्रिया में 1914 तथा 1916 ई. के बीच बुरी तरह पराजित हुई। 1917 ई. तक 70 लाख लोग युद्ध में मारे गए। पीछे हटते रूसी सैनिकों ने फसलों व इमारतों को इसलिए नष्ट कर दिया। जिससे शत्रु सेना को उस स्थान पर टिक पाना संभव न हों। फसलों और इमारतों के विनाश के परिणामस्वरूप 30 लाख से अधिक लोग अपने ही देश में शरणार्थी बन गए। इस स्थिति ने:आर और सरकार को अपने देश में लोकप्रिय बना दिया। युद्ध का उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
अनेक उद्योग बन्द हो गए। बाल्टिक सागर मार्ग पर जर्मनों का नियंत्रण होने के कारण रूस अपने उद्योगों के लिए कच्चे माल का आयात न कर सका। शहरों में रहने वाले लोगों के लिए रोटी और आटे की किल्लत हो गयी। 1916 ई. तक रोटी की दुकानों पर दंगे होना आम बात हो गयी। यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा रूस के औद्योगिक उपकरण अधिक तेजी से बेकार होने लगे। 1916 ई. तक रेलवे लाईंटूटने लगीं। सेहतमन्द लोगों को युद्ध में झोंक दिया गया। परिणामस्वरूप मजदूरों की कमी हो गई और आवश्यक सामान बनाने वाली छोटी कार्यशालाओं को बन्द कर दिया गया। अनाज का एक बड़ा भाग सैनिकों के भोजन के लिए भेज दिया गया।