in Difference
edited
क्या आप बता सकते हैं मृत्युंजय, मृत्युञ्जय और मृत्युन्जय में क्या अंतर है?

1 Answer

0 votes

edited
मृत्युञ्जय शुद्ध रूप है । चवर्ग का ज परे (यानि बाद में है ) है तो अनुस्वार चवर्ग का पंचमाक्षर ञ हो जाएगा।

मृत्युंजय : टाइपराइटर का मानक रूप है क्योंकि टाइपराइटर में -ञ् - नहीं होता।

सो , मृत्युञ्जय और मृत्युंजय दोनों सही हैं और एक ही शब्द हैं

मृत्युन्जय - गलत है

इसकी व्याख्या :

अनुस्वार जिस अक्षर पर लगता है, उससे द्योतित वर्ण के बाद उच्चारित होता है ।

हिन्दी के जो तत्सम शब्द हैं, उनमें कहाँ अनुस्वार प्रयोग होगा कहाँ नहीं , बिलकुल स्पष्ट निर्देशित है ।

आमतौर पर ज्यादातर लोगों को ये ग़लतफ़हमी है कि , न् की जगह अनुस्वार आता है ।

जबकि, अनुस्वार की जगह उसी वर्ग का पञ्चम वर्ण का प्रयोग ( कुछ अपवाद को छोड़कर ) निर्दिष्ट है - पाणिनि की अष्टध्यायी के सूत्र अनुस्वारस्य ययि परसवर्ण: (८/४/५८) ) ।

यानि अनुस्वार के बाद व्यंजन (श, स ,ष और ह - छोड़कर ) होने पर सवर्ण ( पंचम वर्ण के अन्य चार अक्षर, जैसे , ङ -हेतु क ख ग घ और ञ हेतु च छ ज झ इत्यादि ) का ङ, ञ आदि पंचमाक्षर हो जाता है। सारे नियमों को जानने हेतु लिंक देखें ।

उदाहरण देखें नीचे

क ख ग घ ङ - अङ्कित, पङ्कज

च छ ज झ ञ - अञ्चित , सञ्चय

ट ठ ड ढ ण - कण्टक, दण्ड,

त थ द ध न - कान्त: , मन्थन,

प फ ब भ म - गुम्फित, सम्भव

ये तो हुआ कि अनुस्वार की जगह , पञ्चम अनुनासिक वर्ण कब प्रयोग होगा ( संस्कृत व्याकरण अष्टाध्यायी का सूत्र : अनुस्वारस्य ययि परसवर्ण: (८/४/५८) )

उसी तरह कब पदांत और कब अपदान्त ( शब्द के बीच में ) में अनुस्वार का प्रयोग होगा इसके भी नियम हैं। लिंक देखें ।

हुआ ये कि , जब हिन्दी टाइप राइटर की शुरुआत हुई तो कुल 49 कुञ्जी / keys में सारे वर्णों के समस्त रूप को फिट करना था।

अब अंग्रेजी के 26 X 2 ( CAPITAL + lowercase ) यानि 52 के बराबर तो अकेले हिन्दी में वर्ण हैं, सो 10 अंकों व विराम चिन्ह को छोड़ भी दें और मात्र इन्ही 52 के सारे वर्ण रूप मिला लें तो 104 कुञ्जी रूप की जरुरत ( 52 वर्ण + 52 संयुक्ताक्षर सह स्वर चिन्ह ) । अब टाइप राइटर में 49 में से केवल 42 कुञ्जी टाइपिंग हेतु प्रयुक्त होती हैं, सो SHIFT key प्रयोग कर भी 84 रूप ही टाइप हो सकते हैं। सो बहुत सारे वर्ण , बहुत सारे वर्णों के संयुक्ताक्षर रूप, स्वर चिन्हों इत्यादि को छोड़ दिया गया। ङ और ञ उसी की बलि चढ़े और

अङ्कित, पङ्कज की जगह अंकित , पंकज

अञ्चित , सञ्चय की जगह अंचित , संचय इत्यादि लेखन की शुरुआत हो गयी।

Related questions

Category

Follow Us

Stay updated via social channels

Twitter Facebook Instagram Pinterest LinkedIn
...