जन्मजात प्रेरक
प्रेरकों के दो मुख्य प्रकार यावर्ग निर्धारित किये गये हैं, जिन्हें क्रमशः जन्मजात प्रेरक तथा अर्जित प्रेरक कहा गया है। जन्मजात प्रेरकों को आन्तरिक प्रेरक तथा जैविक प्रेरक भी कहा जाता है। जन्मजात या आन्तरिक प्रेरक व्यक्ति में जन्म से ही विद्यमान होते हैं तथा इन्हें सीखना नहीं पड़ता। यही कारण है कि इन्हें प्राथमिक या शारीरिक प्रेरक भी कहा जाता है। ये प्रेरक व्यक्ति के जीवन के आधार हैं। तथा इनके पूर्ण न होने से व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक सन्तुलन भी बिगड़ जाता है। व्यक्ति के जीवन में जन्मजात प्रेरकों का अत्यधिक महत्त्व है। जीवन के सुचारु परिचालन में इन प्रेरकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। हम यह भी कह सकते हैं कि इन प्रेरकों के अभाव में जीवन का चल पाना प्रायः सम्भव नहीं होता। मुख्य जन्मजात प्रेरक हैं-भूख, प्यास, काम, नींद, तापक्रम, मातृत्व व्यवहार तथा मल-मूत्र त्याग।