लिंग हॉर्मोन्स
जीवों में लैंगिक क्रियाओं तथा द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के विकास के नियन्त्रक हॉर्मोन्स को लैंगिक हॉर्मोन्स कहते हैं । एण्ड्रोजेन्स नर तथा एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टीरॉन व रिलैक्सिन मादा हॉर्मोन्स हैं।
एस्ट्रोजेन:
यह मुख्यत अण्डाशय द्वारा स्रावित होता है। इसके अलावा यह ऐड्रीनल ग्रन्थि एवं प्लैसेण्टा द्वारा भी अल्पमात्रा में स्रावित होता है। यह हॉर्मोन्स मादा के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों को नियन्त्रित करता है। इसके प्रभाव से लड़कियों में गर्भाशय, योनि, भग तथा स्तनों का विकास एवं बगल तथा जघन क्षेत्रों में बालों का उगना, शरीर में वसा के जमाव के कारण चिकनाहट, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण, रजोधर्म के प्रारम्भ होने इत्यादि क्रियाओं का नियन्त्रण किया जाता है। इसकी कमी से लैंगिक परिपक्वता देर से, तथा अधिकता से जल्दी आती है।
प्रोजेस्टीरॉन
कॉर्पस ल्यूटीयम प्रोजेस्टीरॉन नामक हॉर्मोन स्रावित करता है। यह गर्भाशय को निषेचित अण्ड को ग्रहण करने के लिए तैयार करता है साथ ही वह गर्भधारण के बाद गर्भाशय तथा अण्डे की दीवार में सम्बन्ध बने रहने को प्रेरित करता है। गर्भधारण के बाद यह स्तनों के विकास को भी नियन्त्रित करता है। निषेचन हो जाने पर यह उपर्युक्त कार्यों के साथ अण्डाशयी पुटिका के निर्माण को रोकता है, लेकिन निषेचन न होने की स्थिति में यह गर्भाशय तथा स्तनों को प्रारम्भिक स्थिति में ले आता है।