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स्वप्रेरण गुणांक से आप क्या समझते हैं

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स्वप्रेरण गुणांक

कुंडली में प्रवाहित की जा रही विद्युत धारा के कारण कुंडली के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है जिससे कुंडली में से चुंबकीय बल रेखाएं या चुंबकीय फ्लक्स गुजरने लगता है यह चमके फ्लक्स कुंडली में प्रवाहित की गई धारा के समानुपाती होता है यदि प्रवाहित की गई धारा I हो और चुम्बकीय फ्लक्स \fn_jvn \phi हो तब

\fn_jvn \phi=LI

यह L एक स्थिरांक है इसे स्वप्रेरण गुणांक या स्वप्रेरकत्व कहते है

स्वप्रेरण गुणांक का S.I मात्रक हेनरी है इसे H से दर्शाते है इसकी विमीय राशी  \fn_jvn ML^{2}T^{-2}A^{-2}  है

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